सुखचैनदास जी का जन्म सन् 1913 में गंजपारा रायपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री छत्तरसिंह तथा माता का नाम श्रीमती घनसिर बाई था। उनके घर सतनामी पंथ के गुरू अगमदास जी का आना होता था। गुरू अगमदास एक राष्ट्रभक्त नेता थे। उनके राष्ट्रीय एवं सामाजिक विचारों ने सुखचैन दास जी को अत्यधिक प्रभावित किया तथा वे भी गुरूजी के पद चिन्हों पर चलते हुये समाज सुधार समिति से जुड़ कर कार्य करने लगे। साथ ही वे कांग्रेस के सेवादल से जुड़कर राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने लगे।
सुखचैन ने अपने कार्यो से शीघ्र ही एक महत्वपूर्ण राजनीतिक नेता के रूप में अपना स्थान बना लिया और रायपुर आ गये। सन् 1940-41 में छत्तीसगढ़ में व्यक्तिगत सत्याग्रह का जोर था, उन्हें व्यक्तिगत सत्याग्रह में शासन के विरूद्ध आंदोलन में भाग लेते हुए गिरफ्तार कर लिया गया तथा 6 माह का कारावास हुआ। कारावास काट कर आने के कुछ समय पश्चात् ही भारत छोड़ो आंदोलन प्रारम्भ हो गया था।
भारत छोड़ो आंदोलन में भी सुखचैन दास जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सरकारी वस्तुओं को नुकसान पंहुचाने के कारण बंदी बना लिये गये। उनकी गिरफ्तारी डिफेस ऑफ इंडिया एक्ट की धारा 129 (2) डी.आई.आर. 26 (1) (2) 38 (10) डी.आई.आर. के तहत 2 अगस्त सन् 1942 को नागपुर से गिरफ्तार किया गया था। रायपुर लाकर 6 सितम्बर सन् 1942 में पुनः गिरफ्तार किया गया। इस समय उनको 9 माह की सजा हुई। जेल से मुक्त होने के बाद भी निरंतर राष्ट्रवादी आंदोलन एवं समाज सुधार के कार्यों में लगे रहे।
References:
- साक्षात्कार माधो बंजारे (पुत्र) से प्राप्त जानकारी।
- मध्यप्रदेष के स्वतंत्रता संग्राम सैनिक खण्ड-3, भाषा संचालनालय, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेष, भोपाल, 1984
- श्री पी.डी. सोनकर, छत्तीसगढ़ में सामाजिक एवं सांस्कृतिक चेतना के विकास में सतनाम पंथ का योगदान एवं ऐतिहासिक विष्लेषण (षोध प्रबंध )
- केन्द्रीय कारागाार रायपुर से प्राप्त जानकारी