आजादी के अमृत महोत्सव के तहत खंड कैरू के राजकीय विद्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बच्चों की पहाड़े, उल्टी-गिनती व वर्ग वाचन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें प्रतियोगिता में अव्वल आने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। बच्चों ने पहाड़े व उल्टी गिनती के अलावा वर्ग वाचन पर बढ़-चढक़र भाग लिया। इस दौरान मुख्य अध्यापक ने वाचन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भाषा शब्द से ही ज्ञात होता है कि भाषा का मूल रूप उच्चरित रूप है। इसका दृष्टिकोण प्रतीक लिपिबद्ध होता है। मुद्रित रूप, लिपिबद्ध रूप का प्रतिनिधि है। जब हम बच्चे को पढ़ाना आरम्भ करते हैं तो अक्षरों के प्रत्यय हमारे मस्तिष्क के कक्ष भाग में क्रमबद्ध होकर एक तस्वीर बनाते हैं, और हम उसे उच्चरित करते हैं। यह क्रिया जिसमें शब्दों के साथ अर्थ ध्वनि भी निहित है, वाचन कहलाती है।
वाचन को मूलत: दो भागों में विभक्त कर सकते हैं।
(1) सस्वर वाचन
(2) मौन वाचन
स्वर सहित पढ़ते हुए अर्थ ग्रहण करने को सस्वर वाचन कहा जाता है। यह वाचन की प्रारम्भिक अवस्था होती है। वर्णमाला के लिपिबद्ध वर्णों की पहचान सस्वर वाचन के द्वारा ही करायी जाती है।
लिखित सामग्री को बिना आवाज निकाले पढऩा मौन वाचन कहलाता है। मौन वाचन में वाचक के होठ बंद रहते हैं।