Melodies of Freedom | Azadi Ka Amrit Mahotsav, Ministry of Culture, Government of India

Melodies of Freedom Detail

State Song of Haryana

आज़ादी गीत : हरियाणा

संदर्भ : आज़ादी का अमृत महोत्सव
गायन-विधा: आल्हा
मापनी : 16,15 मात्रा( मात्रिक सवैये)
किस्सा दिखे सुणाऊँ लोग्गो....हो..ओ..हो..ओ

किस्सा दिखे सुणाऊँ लोग्गो, करकै सुणियो पूरा ख्यास। आज़ादी की लड़ी लड़ाई, हरियाणा नै सबतै खास।
हरियाणा वीरां की भूम्मी, बलिदानी न्यारा इतिहास।
कुलछेत्तर के रणछेत्तर म्हं...हो...ओ...हो..ओ कुलछेत्तर के रणछेत्तर म्हं, किरसण-बाणी आयी रास। पाणीपत की तीन लड़ाई, दुनिया नै इब लग अहसास।
सत्तावन म्हं इस माटी म्हं अंबाळा तै जाग्यी आस।।....1
सत्तावन म्हं लड़ी लड़ाई..हो..ओ..हो..ओ सत्तावन म्हं लड़ी लड़ाई, नारनौल कै परलै-पार।
हीरवाळ के योद्धा लड़ इत,उन गोरां पै कर ग्ये मार।
राव तुला-गोपाल लड़े रै, खप ग्ये योद्धा पाँच हजार।
राज्जा नाहर बल्लभगढ़ के..हो..ओ..हो...ओ...
राजा नाहर बल्लभगढ़ के, अंँगरेजां नै धर ग्ये धार।
लड़े नवाब खूब झाज्जर के, पूरा हरियाणा था त्यार।
पाणीपत,खरखोदा गैल्यां,लड़ ग्ये हांसी असँध-हिसार।।....2

फ़ौज बणी इत नेत्ताजी की...हो..ओ..हो..ओ
फ़ौज बणी इत नेत्ताजी की, नेत्ताजी जी वै वीर सुभास।
हरियाणा के वीर-गाभरू हुए फ़ौज म्हं झटदे पास।
खूब लड़े आज़ादी खात्तर, नहीं बणे गोरां के दास।
गांधी बाबा के अनुयायी..हो..ओ...हो...ओ
गांधी बाबा के अनुयायी, इस माट्टी म्हं पग-पग खास।
खादी अर आजादी खात्तर, चरखे पै इत कत्या कपास।
जींद-पटौदी लोहारू अर,पटियाळा-दोजाणा आस।।.....3

मांँ-घुट्टी अर मांँ-लोरी इत हो..ओ..हो..ओ
माँ-घुट्टी अर माँ-लोरी इत, सदा सिखावै इतना सार।
रणभूम्मी म्हं मर-मिट जाणा,देस-धरम पै होय निसार।
सदा हिंद पै मिटते आये, वीर अनूठे पहरेदार।
घर-घर फौजी हरियाणा म्हं...हो..ओ..हो..ओ
घर-घर फ़ौजी हरियाणा म्हं, पग-पग बांके मिलैं हजार।
लड़ै फ़ौज में हर इक दसमां, इस माटी का गभरू त्यार।
बासठ-पैंसठ साथ इकहत्तर कारगिल नै जाणै संसार।.....4

साल चोहतर पूरे होग्ये..हो..ओ.. हो..ओ
साल चोहतर पूरे होग्ये, आज़ादी के गावां गीत। 'इमरत-उत्सव' दिखे मनावां, आज़ादी के बणकै मीत। जीणा-मरणा सदा देस पै, म्हारी रही पुराणी रीत।
सीस नवावां उन वीरां नै..हो..ओ..हो..ओ
सीस नवावां उन वीरां नै, खुद मिट ग्ये पर देग्ये जीत। ज्यान लुटा ग्ये मांँ-भूम्मी पै, अंँगरेजां की पाड़ी फीत। धन-धन हरियाणा की माटी,
बणी रहै या न्यारी नीत।।..5

रचनाकार :
सत्यवीर नाहड़िया
257, सेक्टर-1, रेवाड़ी (हरियाणा)-123401
सम्पर्क सूत्र : 8168507684
ईमेल: bolbakhatke@gmail.com

आज़ादी गीत : हरियाणा
संदर्भ : आज़ादी का अमृत महोत्सव

हिंदी भावानुवाद

गायन-विधा: आल्हा
मापनी : 16,15 मात्रा( मात्रिक सवैये)
किस्सा एक सुनाऊँ लोगो....हो..ओ..हो..ओ

किस्सा एक सुनाऊँ लोगो, करके सुनियो पूरा ख्याल। आज़ादी की लड़ी लड़ाई, हरियाणा ने सबसे खास।
हरियाणा वीरों की भूमि, बलिदानी न्यारा इतिहास।
कुरुक्षेत्र के रणक्षेत्र में, म्हं...हो...ओ...हो..ओ
कुरुक्षेत्र के रणक्षेत्र में, कृष्ण-वाणी आई रास। पानीपत की तीन लड़ाई, दुनिया को अब तक अहसास।
सत्तावन में इस माटी में, अंबाला से जागी आस।।....1

सत्तावन में लड़ी लड़ाई..हो..ओ..हो..ओ सत्तावन में लड़ी लड़ाई, नारनौल के परले-पार।
अहीरवाल के योद्धा लड़ यहां,उन गोरों पर कर गये मार।
राव तुला-गोपाल लड़े रे, खप गये योद्धा पाँच हजार।
राजा नाहर बल्लभगढ़ के..हो..ओ..हो...ओ...
राजा नाहर बल्लभगढ़ के, अंग्रेजों को धर गये धार।
लड़े नवाब खूब झज्जर के, पूरा हरियाणा तैयार।
पानीपत,खरखोदा संग ये,लड़ गये हांसी असँध-हिसार।।....2

फ़ौज बनी यहांँ नेत्ताजी की...हो..ओ..हो..ओ
फ़ौज बनी यहां नेताजी की, नेताजी जी वे वीर सुभाष।
हरियाणा के वीर-गाभरू हुए फ़ौज में झट से पास।
खूब लड़े आज़ादी खातिर, नहीं बने गोरों के दास।
गांधी बाबा के अनुयायी..हो..ओ...हो...ओ
गांधी बाबा के अनुयायी, इस माटी में पग-पग खास।
खादी अरु आजादी खातिर, चरखे पर यहां कत्या कपास।
जींद-पटौदी लोहारू अर,पटियाला-दोजाणा आस।।.....3

मांँ-घुट्टी अरु मांँ-लोरी यहां हो..ओ..हो..ओ
माँ-घुट्टी अर माँ-लोरी यहां, सदा सिखाती इतना सार।
रणभूम्मी में मर-मिट जाना,देस-धरम पर होय निसार।
सदा हिंद पर मिटते आये, वीर अनूठे पहरेदार।
घर-घर फौजी हरियाणा में..हो..ओ..हो..ओ
घर-घर फ़ौजी हरियाणा में पग-पग बांके मिलें हजार।
लड़े फ़ौज में हर इक दसवा़, इस माटी का गभरू तैयार।
बासठ-पैंसठ साथ इकहत्तर कारगिल को जाने संसार।.....4

साल चोहतर पूरे होग्ये..हो..ओ.. हो..ओ
साल चोहतर पूरे हो गये आज़ादी के गाओ गीत। 'अमृत-उत्सव' चलो मनाओ, आज़ादी के बणकर मीत। जीना-मरना सदा देश पर, हमारी रही पुरानी रीत।
शीश नवाओ उन वीरों को..हो..ओ..हो..ओ
शीश नवाओ उन वीरों को, खुद मिट गये पर दे गये जीत।
जान लुटाकर मांँ-भूमि पर, अंग्रेजों की पाड़ी फीत। धन-धन हरियाणा की माटी,
बणी रहे या न्यारी नीत।।..5

रचनाकार :
सत्यवीर नाहड़िया
257, सेक्टर-1, रेवाड़ी (हरियाणा)-123401
सम्पर्क सूत्र : 8168507684
ईमेल: bolbakhatke@gmail.com


Author: Sri Satyaveer Nahariya. Sent to MOC & SNA

Top