ग्राम लोखंडी की महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण विकास को लेकर अनूठा उदाहरण पेश किया है। गांव की बंजर पड़ी सरकारी जमीन में बारिश के दिनों में पानी का संचय होता था। लेकिन समुचित प्रबंधन न होने से पानी जल्द सूख जाता था। गांव की 410 महिलाओं ने जल सहेली स्वसहायता समूह बनाकर इस बंजर जमीन पर छह महीने की हाड़तोड़ मेहनत से तालाब बना दिया है। अब बारिश का पानी इसमें संचित होने लगा है। इसमें मछली के साथ बतख पालन कर रही हैं। इससे होने वाली आय का 30 फीसद हिस्सा गांव के विकास में खर्च करने का निर्णय लिया है।
नारी की इच्छा शक्ति ने इतिहास रचा है। ऐसी ही इच्छा शक्ति की मिसाल बनी हैं लोखंडी गांव की 410 महिलाएं। लक्ष्मी पटेल की अगवाई में महिलाएं जुटती चली गईं। गांव में गर्मी के दिनों में पेयजल की समस्या से महिलाएं अच्छी तरह वाकिफ हैं। इन्हें ही ज्यादा समस्या झेलनी पड़ती है। तब इन्होंने अपने दम पर कुछ करने की ठानी और गांव की बंजर जमीन पर तालाब निर्माण का संकल्प लिया। दूसरे दिन से ही श्रमवीर महिलाओं का दल हाथ में फावड़ा और घमेला लेकर घर से निकल पड़ीं और अपने काम में जुट गईं।
यह इनकी दिनचर्या में शामिल हो गई। सुबह घर का कामकाज निपटाकर महिलाएं सीधे अपने कर्म स्थल पहुंच जातीं और तालाब का निर्माण करने में जुट जाती थीं। छह महीने की मेहनत तब रंग लाई जब बारिश का पहला पानी नव सृजित तालाब में भरना शुरू हुआ। महिलाओं ने अपने दम पर तालाब का निर्माण कर दिया है। बारिश के पानी के संचय के लिए अभी भी दिन-रात मेहनत कर रही हैं। बारिश के पानी का एक बूंद जाया ना हो इसके लिए अभी से जतन कर रही हैं।
Source: Primary Research