आन्दोलनकारी जसराम नौटियाल का जन्म सन् 1892 में रवांई पगरना के पट्टी रामासिराईं के गुन्दियाट गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री हरिनन्द था। गुन्दियाट गांव के नौटियालों को टिहरी महाराज के समय से थोकदारी का दर्जा प्राप्त है जो क्षेत्र में मालगुजार का कार्य भी करते थे। गुन्दियाट गांव में इनके प्रथम पूर्वज श्री मड़चू गुन्दियाटू था जो टिहरी गढ़वाल से आकर यहां बसा था। मड़चू पंडित पुराहिताई का विशेषज्ञ था। सन् 1815 में यमुना उपत्यका के भ्रमण के समय गढ़वाल नरेश के भाई प्रीतम शाह के निवास का गुन्दियाट गांव में होने जिक्र है तथा नौटियाल राजगुरू भी थे। जसराम रवांई जनान्दोलन के सक्रिय कार्यकर्ता थे और प्रारम्भ से अन्त तक आन्दोलन में सक्रिय रहे तथा संगठन के द्वितीय धर्मपट्टा राजीनामा बैठक में शामिल हुए थे और आन्दोलन के समय गुन्दियाट गांव में आयोजित बैठक में प्रबंधक के रूप में कार्य किया था। 30 मई, 1930 के तिलाड़ी के मैदान में हुए गोलीकाण्ड के दौरान भी मैदान में उपस्थित थे तथा मैदान से बाहर सुरक्षित निकल आये थे। गोलीकाण्ड के पश्चात आन्दोलनकारियों की गिरफ्तारी हेतु की गयी कार्यवाही के दौरान राजकीय पुलिस इनको गिरफ्तार करने में नाकाम रही और कारावास तथा अर्थदण्ड की सजा से सुरक्षित रहे। गुन्दियाट गांव रवांई के बडे तथा सम्पन्न गांवों में एक है जहां अतयधिक सिंचित कृषि भूमि है और ज्वार धान अथवा लाल धान के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है जो दूर दूर तक प्रसिद्ध है और इसकी खेती जैविक अनाज के रूप में होती है। जिसके लिए अनेक जंगली वनस्पतियों की पत्तियां लाकर खाद के रूप में खेतों में डाली जाती हैं। जिससे फसल को उर्वरक मिलते हैं तथा कीट प्रतिरोधी क्षमता के कारण अनेक प्रकार की बीमारियां स्वतः समाप्त हो जाती है। टिहरी महाराज को रवाई के वनों से प्रतिवर्ष भारी भरकम आय प्राप्त होती थी और इसी कारण वन विभाग के अधिकारियों के सलाह पर अपने लाभ हेतु वन अधिनियम बनाया गया ताकि कोई भी महिला अथवा पुरूष चारा-ईधन एवं ईमारती लकड़ी हेतु वनों में प्रवेश न कर सके। वनों से दैनिक जीवन का वास्ता होने के कारण जसराम आन्दोलन में शरीक हुए थे। सन् 1970 में जसराम का निधन हो गया था। अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर इनके उत्तराधिकारी इनके नाम से किसी भी प्रकार के प्रमाण पत्र बनाने में असमर्थ रहे जिसके कारण सरकारी लाभ से वंचित रहे। जसराम का एकमात्र पुत्र श्री कौरदत्त था जो क्षेत्र में पंच के नाम से प्रसिद्ध था और क्षेत्र के विवाद मामलों के निर्णय हेतु इनको आमंत्रित किया जाता था। श्री कौरदत्त के पुत्र श्री रामकृष्ण गुन्दियाट गांव न्याय ग्राम पंचायत के प्रधान रहे। इनके दूसरे पुत्र श्री जगदीश प्रसाद गुन्दियाट गांव न्याय पंचायत के सरपंच रहे तथा चैथे क्रम के बेटे श्री भरत राम दो बार ग्राम पंचात के प्रधान रहे तथा तृतीय क्रम के श्री शान्ती प्रसाद सिंचाई विभाग से वरिष्ठ लिपिक के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।