लमकेनी ग्राम जिला धमतरी में श्री भैरा के घर सन् 1912 में जन्मे मींधू कुम्हार ने मात्र 18 वर्ष की आयु में रूद्री नवागांव के जंगल सत्याग्रह में हिस्सा लिया था। धमतरी के प्रमुख नेता नारायण राव मेघावाले, नत्थूजी जगताप, बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव आदि के आव्हान पर रूद्री के आसपास के वन-ग्रामों में रहने वाले लोग सैकड़ों की संख्या में 21 सितम्बर सन् 1930 को रूद्री जंगल में एकत्र होने लगे जहां वे वन कानूनों का सांकेतिक उल्लंघन कर जंगल सत्याग्रह को अंजाम दे रहे थे। मींधू सत्याग्रह करने का प्रशिक्षण भी धमतरी के सत्याग्रह आश्रम से प्राप्त कर चुके थे। वे आंदोलन की घोषणा होते ही गांधी टोपी पहनकर तिरंगा हाथ में लेकर अपने साथियों के साथ रूद्री पहुंचे जहां पुलिस ने धारा 144 लगा दी थी ।
सत्याग्रहियों को घोड़े से कुचलने, डंडे और चाबुक से कपड़े उतरवा कर नंगी पीठ पर मारने का हुक्म डी.एस.पी. ने पुलिस को दे रखा था। सत्याग्रहियों ने मिंधू कुम्हार के साथ सखाराम, रतनूराम यादव आदि ने हंसिए से घास काटनी शुरू की और उनके ऊपर गोली चलाने का आदेश दिया गया। वे इंकलाब जिंदाबाद और वंदेमातरम के नारे लगा रहे थे।
गोलीबारी में तीनों को गोली लगी। सत्याग्रही उन्हें खाट पर डालकर धमतरी और फिर रायपुर लाए। मिंधू और सखाराम को बांह में और रतनु को पांव में गोली लगी थी। मिंधू को बचाया नहीं जा सका। वे 25 सितम्बर सन् 1930 को शहीद हो गए। उनका पार्थिव शरीर भी परिवार को नहीं दिया गया और कारावास में ही उनका अंतिम संस्कार किया गया। पुलिस ने उन पर देश द्रोह की धारा लगाई थी। वे धमतरी के पहले शहीद थे और मात्र 18 वर्ष की आयु में शहीद हुए थे।
Sources:
- धमतरी शताब्दी वर्ष स्मारिका 1981।
- रामविलास कुम्भकार, साक्षात्कार 7 जून सन् 2022
- रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से प्राप्त अभिनंदन पत्र।