आजादी का अमृत महोत्सव श्रृंखला के तहत राजकीय महाविद्यालय विरोहड़ के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग एवं हरियाणा इतिहास कांग्रेस के संयुक्त तत्वावधान में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. रणवीर सिंह आर्य के निर्देशन में स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायक गेंदालाल दीक्षित की 134वीं जयंती के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के संयोजक एवं इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. अमरदीप ने कहा कि गेंदालाल दीक्षित ने ब्रिटिश पुलिस थानों पर डकैती डालकर हथियार लुटकर अंग्रेजी सरकार को हिला दिया था। चम्बल के बीहड़ों में स्वतंत्रता का शंखनाद करने वाले गेंदालाल दीक्षित का जन्म 30 नवंबर 1888 को जिला आगरा, उत्तर प्रदेश की तहसील बाह के मई नामक गांव में हुआ था। शिक्षा पूरी करने के बाद वे उत्तर प्रदेश में ओरैया जिले की डीएवी विद्यालय में अध्यापक नियुक्त हो गए थे। 1905 में बंगाल विभाजन के परिणामस्वरूप देशव्यापी 'स्वदेशी आन्दोलन' ने उन्हें अत्यधिक प्रभावित हुए। उन्होंने "शिवाजी समिति' के नाम से डाकुओं का एक संगठन बनाया और शिवाजी की भांति छापामार युद्ध करके अंग्रेजी राज्य के विरुद्ध उत्तर प्रदेश में एक अभियान प्रारम्भ किया। गेंदालाल दीक्षित भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अप्रतिम योद्धा, महान क्रान्तिकारी व उत्कट राष्ट्रभक्त थे, जिन्होंने सामान्य जन के साथ साथ, डाकुओं तक को संगठित करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खड़ा करने का महान कार्य किया दीक्षित उत्तर भारत के क्रांतिकारियों के द्रोणाचार्य कहे जाते थे। क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित ने चंबल के एक डकैत गैंग के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश के हथकान पुलिस थाने में डकैती डाली। इसमें 21 अंग्रेज पुलिस कर्मी मारे गए थे। इस कार्यक्रम में इतिहास प्रोफेसर जितेन्द्र, भूगोल प्रोफेसर पवन कुमार उपस्थित रहे।