राजकीय महाविद्यालय बहू के इतिहास विभाग की तरफ से आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत महत्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम मुख्य वक्ता महाविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. जितेंद्र कुमार भारद्वाज और संयोजक नरेंद्र कुमार रहे। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी के जीवन में दो मूल्यों के प्रति सबसे अधिक आग्रह और निष्ठा के दर्शन होते हैं। ये दो मूल्य हैं, सत्य और अहिंसा। कहने के लिए ये दो शब्द हैं, लेकिन वास्तव में उनके लिए ये एक ही मूल्य के दो पहलू थे। जो व्यक्ति सत्य पर टिका है वह अनिवार्यतः अहिंसक होगा, यह उनका मूल विश्वास था। धैर्य और संतोष इस अहिंसा की बुनियाद हैं। सुभाष चंद्र बोस ने 1944 में रेडियो के माध्यम से देश को संबोधन में उनको राष्ट्रपिता कह के संबोधित किया था। भारत माता के वीर सपूत की जयंती को भी पूरा विश्व आज विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाता है।1947 में भारत आजाद हुआ। परंतु नाथूराम गोडसे और अन्य ने 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या कर दी। जिससे भारत में एक काले अध्याय के रूप में याद किया जाता है। महात्मा गांधी का सत्य और अहिंसा का मार्ग आज भी समस्त दुनिया का मार्गदर्शन कर रहा है।