राजकीय महाविद्यालय बिरोहड़ के स्नातकोत्तर इतिहास एवं हरियाणा इतिहास कांग्रेस के सयुंक्त तत्वावधान में महान स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन मोहन सिंह की 109वीं जयंती के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ अमरदीप ने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध में बंदी बनाए गए सैनिकों को एकत्र कर जापानी मदद से ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जंग छेड़ने की योजना पंजाब के जनरल मोहन सिंह की थी। मोहन सिंह में यह विचार गदर आंदोलन से आया था, जिसमें विदेश में रहने वाले हजारों लोग हथियार के बल पर अंग्रेजों को देश से भगाने का सपना सन 1910 में देख रहे थे। उन्होंने 15 दिसंबर 1941 को आजाद हिंद फौज की स्थापना की और बाद में 21 अक्तूबर 1943 को उन्होंने इस फौज का नेतृत्व सुभाष चंद्र बोस को सौंप दिया। आजाद हिन्द फौज के पहले प्रभाग में लगभग 16,000 पुरुष शामिल थे। रास बिहारी बोस एवं मोहन सिंह द्वारा आजाद हिन्द फौज की संयुक्त रूप से सलामी ली गयी। बाद में जापानी आजाद हिन्द फौज को अपने अधीन दर्जा देने लगा जिसका पुरजोर विरोध जनरल मोहन सिंह ने किया और बाद में उन्हें जापानी सेना द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। नेताजी सुभाष चंद बोस के कमान संभालने के बाद मोहन सिंह न केवल रिहा हुए, बल्कि आजाद हिन्द फौज के अग्रणी रहे। इस अवसर पर प्रोफेसर जितेन्द्र, पवन कुमार इत्यादि उपस्थित रहे।