विसाली सोनी का जन्म धमतरी के मांेगरागहन ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री रघु सोनी एवं माता का नाम श्रीमती बुधन बाई था। सविनय अवज्ञा आंदोलन में बड़ी संख्या में कृषक वर्ग ने भी भाग लिया। विसाली जी के पिता ने स्वयं एक स्वयंसेवक के रूप में आंदोलनों में अपना योगदान दिया था। सविनय अवज्ञा आंदोलन में वन कानून भंग करने के कार्यक्रम से छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्र में रहने वाले कृषकों एवं वनवासियों में हर्ष व्याप्त हुआ क्योंकि लकड़ी घास जैसे निःशुल्क रोजमर्रा की वस्तुओं से उन्हें वंचित कर दिया गया था । जंगल सत्याग्रह प्रारंभ होने के साथ ही विसाली सोनी जी भी सत्यग्रहियों के साथ वनों में जाकर घास काटने एवं सूखी लकड़ी उठाने के लिए जा रहे थे । पूरे धमतरी क्षेत्र में 10 सितंबर, 1930 से धारा 144 लागू कर दी गयी थी। इस धारा का उल्लंघन करते हुए विसाली जी अपने साथियों के साथ सन् 1930 में गिरफ्तार कर लिए गए। उन्हें कुल 3 माह के कारावास की सजा हुई थी।