जिवधन प्रसाद बंछोर का जन्म दुर्ग जिले के सन् 1916 में सेलूद ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री चमरु प्रसाद बंछोर था। उन्होंने प्राथमिक तक की शिक्षा अपने गांव में ही प्राप्त की थी। बंछोर जी युवकों को मिलाकर युवा मंडल की स्थापना की जिस ने अनेक लोगों को संगठित कर दिया। नवंबर 1933 में गांधीजी के दुर्ग आने के पश्चात् बंछोर जी कांग्रेस की ओर आकर्षित हुए और 1936 में कांग्रेस में उन्होंने काग्रेंस में प्रवेश कर उसके कार्यक्रमों में भाग लेना प्रारंभ किया।
सन् 1939 उन्होंने विदेशी वस्तुओं को बहिष्कार एवं मद्यनिषेध कार्यक्रम में भाग लिया। अगस्त 1942 में भारत छोडो आंदोलन में सेलूद के युवकों के साथ गांव के सरकारी रेस्ट हाउस में जहां अंग्रेज अधिकारी रहते थे उसके सामने ब्रिटिस शासन के विरोध में नारे लगाये।
उनके साथ ठाकुर राम नायक, होरीलाल बघेल, मोतीलाल पैकरा (बटंग ग्राम) आदि थे। सभी को 25 अगस्त, 1942 को गिरफ्तार कर पास के स्कूल के कमरे में बंद कर दिया , वहां भी ये लोग नारे लगाते रहे। इस पर इन्हें डी.आई.आर की धारा 26(5) के अंतर्गत रायपुर जेल भेज दिया। 26 अगस्त, 1942 से 7 अप्रैल,, 1943 तक जेल में रहे। उनका देहावसान 2 दिसंबर 1981 को हो गया।