भारत सरकारGOVERNMENT OF INDIA
संस्कृति मंत्रालयMINISTRY OF CULTURE
Uttarkashi, Uttarakhand
March 28, 2023 to March 28, 2024
रामदत्त नौटियाल का जन्म सन् 1890 में रवांई अंचल के खाटल पट्टी के देवल गांव में हुआ था। आन्दोलनकारी रामदत्त प्रारम्भ से ही रवांई जनान्दोलन के नेताओं के साथ सक्रिय रूप से जुड़ गये थे और 28-29 मार्च, 1930 को आन्दोलन के नेताओं द्वारा रिखवाड यमुना संगम पर स्थित चांदा-डोखरी (मैदान) में आयोजित द्वितीय राजीनाम धर्मपट्टा बैठक में सम्मिलित हुए थे तथा आन्दोलन में सक्रिय रहने का वचन दिया था। 30 मई सन् 1930 को तिलाड़ी के मैदान में आन्दोलन के नेताओं द्वारा आहूत बैठक में भाग लेने हेतु गये थे किन्तु अचानक हुए गोलीकाण्ड के कारण मैदान से सुरक्षित बाहर निकल आये थे। देवल गांव के बुजुर्ग के अनुसार रामदत्त उस समय अपने क्षेत्र के आन्दोलनकारी समूह के लोगों के लिए भोजन बना रहे थे। भगदड के कारण भोजन से संबंधित सारे बर्तन आदि भी मैदान में छूट गये थे। आन्दोलन के पश्चात आन्दोलनकारियों की गिरफ्तारी हेतु हुई कार्यवाही के समय राजकीय पुलिस इनको गिरफ्तार नहीं कर पायी थी जिससे कि अर्थदण्ड तथा कैद की सजा से सुरक्षित रहे। इनकी मृत्यु के पश्चात इनके आश्रित अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर इनके नाम से किसी भी प्रकार के प्रमाण पत्र नहीं बना पाये थे जिसके फलस्वरूप सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रहे। सन्तान के रूप में इनका एक मात्र पुत्र देवेन्द्र दत्त था जो पंडिताई करता था इनकी मात्र पुत्री श्रीमती किन्द्रा देवी है जिनकी शादी भटाडी इडवालस्यूं, टिहरी गढ़वाल में हुई है और उनके पिता की जमीन जायदाद इनके विरादरी नौटियाल लोगों के नाम कर दी गयी थी। सन् 1965 में 75 वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु हुई थी।