रवांई जनान्दोलन के आन्दोलनकारी उत्तम सिंह का जन्म सन् 1896 में रवांई अंचल के गीठ पट्टी के कुपड़ा गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री नारायण सिंह था। यह व्यक्ति उत्साही तथा क्रान्तिकारी विचारधारा का था और प्रारम्भ से ही रवांई के जनान्दोलन के नेताओं के सम्मिलित हुआ था। 28-29 मार्च, 1930 को ऐतिहासिक स्थल लाखामण्डल के निकट आयोजित द्वितीय राजीनामा धर्मपट्टा बैठक में सक्रिय रूप से भाग लिया था और नेताओं को अपने सकिय योगदान हेतु बचन दिया था। 30 मई, 1930 को तिलाड़ी के मैदान में आन्दोलनकारी नेताओं द्वारा आयोजित बैठक में सक्रिय रूप से भाग लिया था किन्तु अचानक हुए गोलीकाण्ड के कारण मैदान से बाहर सुरक्षित पहुंचे थे। लोगों ने अवगत कराया है कि पुलिस ने इनको पकड़ लिया था किन्तु उनके साथ मारपीट करके उनकी गिरफ्त से बाहर हो गये थे। इस गोलीकाण्ड के पश्चात आन्दोलनकारियों के गिरफ्तारी के विरूद्ध हुई कार्यवाही के दौरान भी राजकीय पुलिस इनको गिरफ्तार करने में असमर्थ रही। जिससे कि अर्थदण्ड तथा कैद की सजा से सुरक्षित रहे किन्तु पुलिस द्वारा इनके घर में लूटपाट की गयी थी। सन् 1962 में इनकी मृत्यु के पश्चात अभिलेखों के आधार पर इनके आश्रितों द्वारा इनके नाम से किसी भी प्रकार के प्रमाण पत्र नहीं बनाये गये।