Unsung Heroes | History Corner | Azadi Ka Amrit Mahotsav, Ministry of Culture, Government of India

Unsung Heroes Detail

Paying tribute to India’s freedom fighters

महेन्द्र सिंह

Uttarkashi, Uttarakhand

March 29, 2023 to March 29, 2024

रवांई अथवा तिलाड़ीकाण्ड के आन्दोलनकारी मैहर सिंह उर्फ महेन्द्र सिंह का जन्म सन् 1870 में रवांई अंचल के पट्टी बडकोट के कन्सेरू गांव में हुआ थ। इनके पिता का नाम दलजीत था और रवांई आन्दोलन के मुखिया श्री दयाराम सिंह के बडे भाई थे जो इनसे उर्म में 10 वर्ष बडे थे तथा आन्दोलन में दयाराम का मार्गदर्शन भी किया था। एक क्रान्तिकारी के रूप में सन् 1970 में उ0प्र0 सरकार के सूचना एवं जन संपर्क विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक सं0-14 के पृ0सं0-8 तथा क्रमांक 50 में इनका नाम दर्ज है। जनान्दोलन के दौरान इनकी गिरफ्तारी हुई थी। इन पर मुकद्मा दायर हुआ था। एक बार अदालत द्वारा छोड दिये जाने के पश्चात पुनः इनकी गिरफ्तारी हुई थी और जेल मे ही इनकी मृत्यु हो गयी थी। मैहर सिंह का मूल नाम महेन्द्र सिंह था। सर्वेक्षणकर्ताओं की गलती से इनका नाम महेन्द्र सिंह के स्थान पर मैहर सिंह लिखा गया है। सन्तान के रूप में इनके तीन पुत्र क्रमशः श्री श्याम सिंह, श्री फते सिंह और श्री धाम सिंह थे। ज्येष्ठ पुत्र श्री श्याम सिंह धर्मपुत्र के रूप में भाटिया चले गये थे तथा श्री श्याम सिंह और श्री फते सिंह ने कन्सेरू में ही निवास किया था जिनकी द्वितीय तथा तृतीय पीढ़ी के लोग कन्सेरू में काश्त करके अपना जीवन निर्वाह करते हैं। महेन्द्र सिंह की मृत्यु सन् 1939 के आस-पास हो गई थी। स्वंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा प्राप्त होने पर भी इनके वंशजों द्वारा अपने क्रान्तिकारी पूर्वज के नाम से पहचान तथा आश्रित प्रमाण पत्र नहीं बनाये गये थे। जिसके फलस्वरूप ये लोग पारिवारिक पेंशन तथा सरकार द्वारा आन्दोलनकारियों के आश्रितों के लाभ हेतु संचालित विभिन्न योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। इनके पास किसी भी प्रकार के अभिलेखीय प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं हैं। किन्तु पुस्तक सं0-14 में उल्लेख होने से महेन्द्र सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और प्रयास करने पर इनके वंशजों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकता है।

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