श्री गुलाबचन्द गोठवाल का जन्म 1 अगस्त, 1916 को जयपुर में हुआ। मीणा समाज के प्रथम स्नातक व गोल्ड मेडिलिस्ट गोठवाल ने 1939 में अपनी स्नातक की डिग्री आगरा विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी। सवाई माधोसिहं ने इन्हें सम्मानित किया। इसी समय जयपरु सरकार ने दादरसी व जरायम पेशा जैसे कानून लागू कर दिये थे। इन कानूनों ने मीणा जाति को अपराधी जाति घोषित कर दिया था। जब वे श्री गोठवाल मुनि मगनसागर जी के सम्पर्क में आये और अपनी जाति के पिछड़ेपन को नजदीक से देखा। तब इन्हें समाज में अशिक्षा और सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबन्धों से ग्लानि होने लगी और वे इसे कलंक समझने लगे। अतः इन्होंने इस कलंक को मिटाने के लिए जयपुर राज्य प्रजामण्डल का सक्रिय सदस्य बनना स्वीकार किया। जयपुर प्रजामण्डल के प्रभाव में आने से वे सामन्त विरोधी हो गये और दादरसी कानून के कट्टर विरोधी हो गये। लक्ष्मीनारायण झरवाल के साथ इन्होंने जरायम पेशा कानून को समाप्त करवाने का प्रयास करने लगे। इन्होंने मीणा समाज में व्याप्त अन्धविश्वासों व कुरीतियों का विरोध किया और समाज के लोगों को शिक्षा का महत्व समझाकर, उनसे शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने का अनुरोध किया।