Song of Urdu
" मैंहूं हि दं स्ुतान "
प्यार अहि सं ा त्याग करुणा मेरेतीर कमान
मेरा होना ही धरती को एक दैवि क वरदान
मझु सेउलझना खेल समझतेहो ! तो हो नादान
आओ मझु सेमि लकर देखो मैंहूं हि दं स्ुतान
बड़-ेबड़ेग़रैो मेंअपनेपन का दर्द जगाया
मानवता को धर्म समझना ही मनैं ेसि खलाया
वि श्व गरुु बन कर दनिुनिया को मनैं ेबांटा ज्ञान
आओ मझु सेमि लकर देखो मैंहूं हि दं स्ुतान
आज़ादी की जंग लड़ी तो बि ना खड़ग बि न ढाल
नतिैतिकता की कायम कर दी मनैं ेएक मि साल
आन गि रेक़दमों मेंमेरेबड़ेबड़ेअभि मान
आओ मझु सेमि लकर देखो मैंहूं हि दं स्ुतान
नाम मेरेबेटों के लि ख्खेसाहस के होठों पर
भारत जि दं ाबाद कहा हैफांसी के तख्तों पर
कौन भलु ा सकता हैमेरेवीरों का बलि दान
आओ मझु सेमि लकर देखो मैंहूं हि दं स्ुतान
गांधी की आधं ी के आगेटि का ना ब्रि टि श राज
कैसेकैसेकल गज़ु रेहैंतो पाया हैआज
आज सेआनेवालेकल तक पर हैंऔर उड़ान
आओ मझु सेमि लकर देखो मैंहूं हि दं स्ुतान
मेरा झडं ा अमर ति रंगा लि खेनई जय गाथा
मझु मेंबसनेवालेहर बासी के मन की आशा
देश का बच्चा बच्चा अपनेझडं ेपर क़ुर्बा न
आओ मझु सेमि लकर देखो मैंहूं हि दं स्ुतान
मेरी हैपहचान अगर कोई! तो हैबस प्यार
मझु सेछूकर स्वस्थ हुए हैंनफरत के बीमार
सारेहि दं स्ुतानी मेरे! मैंसबका अभि मान
आओ मझु सेमि लकर देखो मैंहूं हि दं स्ुतान
द्वेष अहंकारों सेलड़नेका लबं ा अभ्यास
कड़वाहट को शहद बनानेका मेरा इति हास
मेरेदि यों का कोई भी आधं ी कर न सके अपमान
आओ मझु सेमि लकर देखो मैंहूं हि दं स्ुतान
वसीम बरेलवी
Author: Sri Waseem Barelvi. Sent to MOC & SNA