Azadi Geet of Rajasthan
आजादी रो गीत
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान
- हरीश बी. शर्मा
स्थाई
राजपूताणो रजवाड़ो, कण-कण रो रगत सिनान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान
1.
करसां बोवै बीज, कोई ना ऊंच-नीच, अपमांण
जबर जंग जोधा जुझारिया, मात भौम री सान
इण धरती री कूंख सुभागी, जलम्या वीर महान
वचन रै बदळै प्राण तजै ,ई धरती री पिछांण
जीवण रो कोई मोल नीं मानै, मोल बच्यां सुभिमान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
2
आओ आज सुणावां थानै, करवावां ओळखाण
मरण मांडणौ करम जठै है, धरम मात रो मांण
मात भौम प्राणां सूं मूंगी, निजर नीं उठणै पावै
करै हिमाकत दीदा फोड़ै , बैरी बच नीं पावै
मान देय सनमान चावना, चावै राजस्थान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान...
3
इण धरती रो रौब निराळौ, सूर-वीर री खान
पिरथीराज, प्रताप सूरमा, आऊवा रो संग्राम
रातीघाटी रो वीर जैतसी, नहीं सहे अपमांण
बारठ बांचै चूंगटिया, बांकी रा सुणो बखाण
मांण तिरंगे रो रख लीन्हो,बीरबल रो बळिदाण
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान...
4
जैसळमेर में गोपो गूंज्यौ उदयपुर में नारा
हुई खिलाफत, गांधी नेता, लूण बणावै सारा
बाबू मुक्ता करी खिलाफत, ना रैया अणजांण
दाऊदयाल बचायौ बीकाणो, जातो पाकिस्तान
गंगे साम्हीं खडिय़ौ हो गंगो खूब मच्यौ घमसाण
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
5
घर-घर खादी गाभा बणगी, चाल्यौ चरखो सरणाट
छोड भणाई निकळ्या सैनिक, तजिया ठाट अर बाट
अेक ही सुर हो एक बात ही, भोम वीरां री बाजै
उण धरती पर कियां जबरिया गोरा आय बिराजै
राज गयौ, रजवाड़ा बीत्या, पण वीर रैया अणजांण
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
6
है इचरज री बात साच,पण सुणी न देखी भाया
गोरां रा हा दास राजिया, अंगरेजी काया-माया
जुलम राज रो, हंटर चालै, अंगरेजी कानून
अन्याव-अनीति रोकण खातर टूट्यौ जन रौ मून
अठै तिरंगो, वठै अवज्ञा, हुंकारे असमान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
7
अजयमेरु रो रंग सुरंगो, जबर हुयौ संग्राम
दुर्गा,कमल,शोभा,तारा, मचा दियौ घमसाण
सूर्यमल मौर्य, बैजनाथ, सागै सैयद अली,
कांड डोगरा पंचमसिंह सिंह तोडी़ दुस्मीं री नळी
खुद रो झंडौ, खुद री सत्ता, यूं बणियौ राजस्थान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
8
अलवर चावै मिळै पडुत्तर, करे न राजा मनमानी
भरतपुर में गांधी-नेताजी सूं जुडिय़ा हा सै सेनानी
बांसवाड़ा री शकुंतला रा, हा गरम घणां विचार
गंगा शोभा,उमा, कमला री अलवर में ललकार
चिरंजी-हीरा मतवाला जियां लंका में हड़मान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
9
आदित्येंद्र ,राजबहादुर, काशी, शंकरलाल
जगन्नाथ, भाई धूलजी, सूरजमल, माणिक्यलाल
नेहरू रा हा खास भवानी, बोस रो हो आव-जाव
अलवर रा लक्ष्मण त्रिपाठी,सत्याग्रही हा साव
भरतपुर अर बांसवाड़ा में जाग्यौ हर इंसान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
10
बण्या भूप विजय पथिक जगाई अंतर ज्वाला ने
माणिक आगे बध नै रोक्या बिजौलिया अन्याव ने
भीलवाड़ा में रूप सोमानी और भवानी छाया हा
चितौड़ कीरतीथम रै माथै वर्मा झंडौ ले आया हा
अमृत-भंवर रा खेल जेल में,आजाद जबर अगवाण
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
11
बीकाणे री बात करां तो दूधवा खारा भूल न जाया
कांगड़ कांड, षडयंत्र केस सूं कियां जनता ने भरमाया
चाल चली पण जनता जाणै, महाराजा रे लागी लाय
रघुवर, सत्यनारायण, गंगा, मघाराम रो कोनी उपाय
रामनारायण, मूलचंद, चिरंजी राखी झंडै री आंण
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
12
उस्मानी रा बिड़द जे बांचा, कागद-स्याई हुवै खतम
पंद्रै साल जेल में काढ्या, सुपनौ हौ आजाद वतन
मास्को में सैनिक शिक्षा लीनी भगत-चंदर रा बेली हा
आजादी रा मतवाळा शौकत, नांव सैं सूं पैली लेवां
रूस री लाल सेना में सामल, बीकाणै रो लाल महान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
13
चंपालाल,व्यास छोटूजी, गंगादत्त रंगा,जीवणलाल
कवितावां सूं चेतो लाया इस्या सेठिया कन्हैयालाल
चूरू सूं दुर्गादत्त सोहन, नोहर-लाल हा श्रीनिवास
हीरा अर हड़मान हुंकारै, रावत, सुरेंद्र सूं बंधी ही आस
कांगड़ा कांड सूं चर्चा पाई बडगर नेता कुंभाराम
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
14
बूंदी-धौलपुर आई चेतना, ठौड़-ठौड़ परचा चिपग्या
डूंगरपुर री कला शेरनी, चंदू गुप्ता आडा मंडग्या
हाडा शिव साम्हीं मंडग्या, जाग करे परभात फेरी
अभय,कुंज,गोपी सूरमा, अंगरेजा रा लूंठा बैरी
युगल,याद,केदार जुझारु, होम जगदीश री हुई दुकान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
15
जयपुरियौ हुंकार भरी, इरविन रो हुंवतौ काम तमाम
चंद्रशेखर मिळ प्रभु बारठ संग, करियौ हो सारौ इंतजाम
जमवा रामगढ़ छिड़ी खिलाफत, साइमन रो करियौ विरोध
रेल्यां रोकी, राख्या गोळा, कवितावां सूं भर दियो ओज
सिद्धराज, वाष्र्णेय, गुलाबचंद, शीतल-भैंरु कवि महान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
16
जैसाणे रे अन्यावां ने सागरमल चौभाटे लाया
सवा साल जेल हुई, लालचंद असल मां जाया
लाल मदन, छोगा अर मांगी वीर भोम सतराही हा
राम, श्याम, हजूर, चिरंजी, प्रभु, भूरा, क्रांतिकारी हा
जैसलमेर, झालावाड़,करौली लडय़ौ लूंठौ संग्राम
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
17
हाड़ौती रो सिंग केसरी बिसराया ना वां रा सोरठिया
राजा रो स्वाभिमान जगायौ, चेतावण रा हा चूंगटिया
दुर्गा रो अरमान तिरंगो, भैरव-अभिन्न क्रांतिकारी
लगान विरोधी मोती रैया, कम्युनिस्ट बागमल सैं पर भारी
विमल-गुलाब-कंवर-रामेश्वर, इंद्रदत्त माथै अभमान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
18
डाबड़ा कांड, किसान आंदोलन मुखिया रणछोड़दास
छगनराज चौपासनी वाळा, पूरै तिरंगै री आस
मदन-लक्ष्मण-हर मजूर संघ में, सुरति,उगम री वानर सेना
ठाकुर साम्हीं अड़ी रमा, शौकत कहे आजाद है रहना
सूरजप्रकाश अर मथुरादास जोधाणे रा गुमेज-गुमान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
19
पाली, सिरोही, उदयपुर में परजा चावै मिळै जवाब
रियासतां री मनमानी पर जबरौ घणौ पडिय़ौ दबाव
जेल गया कनक मधुकर,भगवतीदेवी झंडौ झाल्यौ
रामप्रसाद,धनराज, गिरिश ने बोस री सब्ज सेना में घाल्यौ
गोकुल भट्ट, देवीचंद, कांति,करी सुशासन मांग
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
20
अंबालाल फळौदी-गांधी, काळकोठ में रह्या गोपाळ
सीकर सांवळराम भारतीय, उमर कम पण सोच विसाळ
लड़ी लड़ाई ताड़केश्वर,संग दुर्गादत्त-कानकुंवरी
लादू संगी गांधी रो, हरलाल सूं साव हुकूमत सिहरी
सवाई माधोपुर लाडली गोयल, धीरेंद्र, गिरिराज महान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
21
करसां, कवि, व्यौपारी, नौकर, रंक, राजा सब अेक
आजादी री अलख जगी जद सैं आया जाजम अेक
रजपूताणौ नित रौ जोधो, केसरिया बागा सूं प्रीत
जुद्ध में उतरे प्राण खांच ले, ना बैरी नै देवे जीत
भाग्या गोरा, रजपूताणो, बणियौ राजस्थान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
22
आजादी रे होम होमिज्या, अलेखूं बळिदान हुआ बेनाम
निवण भाव उण अटल आस नै लुळ-लुळ करां प्रणाम
कहीं जकी है कम इतरी क छटांक तौल नीं आवै
कुर्बान हुया जे सोधां माथा, गाथा बणती जावै
चंदर-भगत हर गांव जलमिया, बोस जगायौ मान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
23
कितरी कीरत गांवां उणरी, जागी आंख्या रा सुपणां
दास नीं जलमें भारतवासी, राज हुवै अब अपणां
कदै सोचिया उण बखत नै, जुलम, जोर, अन्याव
राजाशाही रगत पीवणी, गोरां रो जुलम-बरताव
रणचंडी ज्यां घट में आई, ऐ भैरव ऐ हड़मान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
24
इमरत उच्छब आजादी, रो खूब उमाव मनाओ
भूल्या ना उण सेनान्यां ने, बिड़द उणां रो गाओ
आजादी रे चाव निछावर, घर-दुकान-खलिहान
कुटंब-कड़ूंबो बिसराय, मायड़ रो राख्यौ मांण
जबड़े सूं मुगतायौ देस ने, ऐ नवजुग रा भगवान
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान....
- गीतकार का पता
हरीश बी. शर्मा
कुसुम कुंज
बेणीसर बारी के बाहर, सूर्य कॉलोनी, बीकानेर
(राजस्थान) 334 004
हिंदी अनुवाद
आजादी रो गीत : आजादी का गीत
प्राण दियां जस मानै ऐड़ी भौम है राजस्थान
- हरीश बी. शर्मा
1.
राजस्थान नाम से जो भू-भाग आज भारत का एक राज्य है, उसे पहले राजपूताना या रजवाड़ा कहा जाता था, क्योंकि यहां राजपूत राजाओं को शासन था। यह भूमि शौर्य और त्याग की है। यहां के वीरों ने अपनी भूमि के नाम के लिए रक्त बहाने से भी संकोच नहीं करते, न बलिदान देने में पीछे रहे हैं। यहां ऐसे-ऐसे योद्धा हुए हैं, जिन्होंने आखिरी सांस तक युद्ध लड़ा। जुझार ऐसे योद्धाओं को कहा जाता है, जिनका रणक्षेत्र में शीश कटने के बाद भी तलवार चलती रहती थी। मातृभूमि की रक्षा के लिए प्राण देना यहां सम्मान और यश का प्रतीक माना जाता है। इस धरती का सौभाग्य है कि यहां महान वीर योद्धाओं ने जन्म लिया है। 'प्राण जाए पर वचन न जाए' यहां के लोगों के लिए ही कहा गया है।
2.
इसी धरती की यशगाथा सुनाते हुए आपको परिचय करवाते हैं, जहां कर्म बलिदान है और धर्म मातृभूमि की रक्षा है। मातृभूमि का मोल प्राणों से भी ऊपर है। अगर कोई इस पर बुरी नजर डाले तो उसकी आंखें फोड़ दी जाती है। शत्रुता रखने वाले को छोड़ा नहीं जाता, लेकिन सम्मान देन वाले को पूरा मान मिलता है।
3
इस धरती की प्रतिष्ठा यह है कि यह शूरों और वीरों की जन्मदात्री है। यहां पृथ्वीराज चौहान, राणा प्रताप जैसे वीर हुए हैं। आऊवा (पाली जिला) नाम की जगह अंग्रेजों के विरुद्ध हुआ संग्राम और रातीघाटी का युद्ध भी स्वाभिमान का प्रतीक है। यहां केसरीसिंह बारठ जैसे कवि हुए हैं, जिन्होंने 'चेतावणी रा चूंगटिया' जैसे सोरठे लिखकर उदयपुर महाराजा के मन में स्वाभिमान जगाया तो बांकीदास जैसे ओजस्वी कवि ने दासता का विरोध करते हुए जन-मन में चेतना जगाई। रायसिंहनगर (श्रीगंगानगर जिला) के शरीद बीरबलसिंह का बलिदान नहीं भूला जा सकता, जिन्होंने तिरंगे की रक्षा करते हुए गोली खाई।
4
जैसलमेर में सागरमल गोपा ने आजादी के लिए कारावास भोगा, लेकिन डरे नहीं। उदयपुर के नारों ने तत्कालीन सत्ता की नींदें उड़ा दी। गांधी के नमक सत्याग्रह का यहां भी खूब जोर रहा। बीकानेर में बाबू मुक्ताप्रसाद ने संघर्ष किया, उससे अनजान मत रहना। बीकानेर रियासत ने बहावलपुर से व्यापारिक संधि कर ली थी, जिसे दाऊदयाल आचार्य ने उजागर किया, नहीं तो आज बीकानेर पाकिस्तान का हिस्सा होता। तत्कालीन महाराजा गंगासिंह के सामने गंगादास कौशिक ने आजादी की मांग की।
5
यह वह समय था जब यहां खादी और चरखा आंदोलन का अंग बन गया। कई बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी। शानो-शौकत छोड़ दी और आजादी के संग्राम के सैनिक बन गइ। सभी का एक ही लक्ष्य था कि वीरों की भूमि पर गोरे यानी अंग्रेज नहीं रहने चाहिये। आजादी मिली। सामंतों का शासन चला गया, देश में लोकतंत्र आया, लेकिन आजादी दिलाने वाले अनेक वीरों के संबंध में आज भी हम अनजान ही हैं।
6.
कितने आश्चर्य की बात है, जिसे कभी देखा-सुना न होगा कि जिन्हें राजा कहा जाता था, वे अंग्रेजों के गुलाम जैसे थे। हर जगह अंग्रेजों का ही कानून चलता। आम जनता पर जुल्म होते। सरे आम कोड़े मारे जाते। इस अन्याय और अनीती को रोकने के लिए जनता का मौन टूटा। कहीं तिरंगा लहराया, कहीं सविनय अवज्ञा आंदोलन हुआ। आकाश गूंज उठा।
7
अजमेर की स्वतंत्रता संग्राम अपने आप में अनूठा था। यहां कप्तान दुर्गाप्रसाद चौधरी, कमलचंद गुप्ता, शोभालाल गुप्त, ताराचंद हरसोलिया, सैयद फैयाज अली, सूर्यमल मौर्य, बैजनाथ शर्मा की गतिविधियों ने नाक में दम कर दिया। उस समय का चर्चित डोगरा कांड में पंचमसिंह को अभियुक्त भी माना गया, एक साल का कारावास हुआ। इस तरह एक दिन ऐसा आया कि हमारा तिरंगा, हमारी सत्ता हमें मिली। इस तरह राजस्थान बना।
8
अलवर सहित कई जगहों से उत्तरदायी शासन की मांग उठने लगी। सामंत और राजाओं की मनमानी के विरुद्ध माहौल बनने लगा। भरतपुर के स्वतंत्रता सेनानियों से महात्मा गांधी और नेताजी सुभाषचंद्र बोस से सीधा संपर्क था। बांसवाड़ा की शकुंतला देवी उग्र विचारों के लिए चर्चित थीं, वे क्रांतिकारियों तक बम और बंदूकें पहुंचाने में भी नहीं हिचकती थीं। अलवर में गंगादेवी ने शोभा भार्गव, उमा माथुर, कमला जैन आदि ने उत्तरदायी शासन की मांग की। चिरंजीलाल ने डाकघर जला दिया। हीरालाल रेल सेवाएं ठप कर दी।
9
भरतपुर में आदित्येंद्र, राजबहादुर, काशीनाथ, शंकरलाल पीतलिया ने भारत छोड़ो आंदोलन को गति दी। बांसवाड़ा में जगन्नाथ कसारा, धूलजी भाईश् सूरजमल बसाणिया, माणिक्यलाल विद्यार्थी ने आंदोलन छेड़ा। इन दिनों यहां पंडित जवाहरलाल नेहरू भी आए तो सुभाषचंद्र बोस का भी आना-जाना रहता। अलवर के भवानीसहाय शर्मा नेहरू से जुड़े थे। लक्ष्मण त्रिपाठी ने सत्याग्रही के रूप में अलग प्रतिष्ठा प्राप्त की।
10.
कवि और आंदोलनकारी विजयसिंह पथिक ने लोगों को आजादी के लिए प्रेरित किया। उनका मूल नाम भूपसिंह था। बिजौलिया आंदोलन के लिए माणिक्यलाल वर्मा ने सभी को एकजुट किया। भीलवाड़ा में इनके अलावा रूपलाल सोमानी, भवानीशंकर शर्मा का योगदान अविस्मरणीय है। चित्तौड़ के कीर्ति स्तंभ पर तिरंगा फहराने के लिए गणपतलाल वर्मा ने प्रयास किया, लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। अमृतलाल यादव और भंवरलाल व्यास को जेल हुई। आजाद गोयल को धमकियां मिलीं, लेकिन वे नहीं घबराए।
11
बीकानेर में स्वाधीनता आंदोलन की बात करें तो दूधवाखारा, कांगड़ कांड और षडयंत्र केस को नहीं भूल सकते। रियासत चाहती थी कि इससे जनता को भ्रमित कर दिया जाए। ऐसा हो नहीं सका तो राजा भन्ना उठे। रघुवरदयाल गोयल, सत्यनारायण पारीक, गंगादास कौशिक, वैद्य मघाराम जैसे स्वाधीनता सेनानियों को रोकने का कोई तरीका कारगर नहीं बैठे। रामनारायण शर्मा ने 1942, चिंरंजीलाल स्वर्णकार ने 1945 और मूलचंद पारीक ने 1947 में तिरंगा फहराकर सीधे सत्ता को चुनौती दी।
12
शौकत उस्मानी के कार्यों का उल्लेख करें तो कागज भर जाए और स्याही खत्म हो जाए। विदेशों में भटके। सैनिक शिक्षा ली। भगतसिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों के साथ रहे शौकत उस्मानी रूस की लाल सेना में रहे। 15 साल जेल में काटे।
13.
चंपालाल रांका, छोटूलाल व्यास, गंगादत्त रंगा, जीवणलाल डागा ने बीकानेर में आंदोलन जारी रखा तो कन्हैयालाल सेठिया ने सुजानगढ़ में गांधी के 'करो या मरोÓ आंदोलन को चलाया। चूरू में दुर्गादत्त वर्मा, सोहन लाल बांठिया और नोहर में श्रीनिवास थिरानी ने गतिविधियां जारी रखीं। हीरालाल शर्मा गरम विचारों के थे तो हनुमानसिंह चौधरी ने जो ऐसा विद्रोह किया कि उन्हें जिंदा या मुर्दा पकडऩे पर 2000 रुपये के इनाम की घोषणा हुई। रावतमल पारीक और सुरेंद्र कुमार शर्मा ने आजादी के आंदोलन की मशाल थामी। कुंभाराम आर्य कांगड़ कांड से जननायक बन गए।
14
बूंदी और धौलपुर में लोगों ने आजादी की अलख जगाई। दीवारों पर पोस्टर लगने लगे। डूंगरपुर कलावती गुप्ता निडर कार्यकर्ता थीं। चंदूलाल गुप्ता ने भी विद्रोह के स्वर फूंके। बूंदी के शिवराजसिंह हाडा अंग्रेज के दीवान का विरोध कर सत्ता की आंखों की किरकिरी बन गए। यहां अभय कुमार पाठक, कुंजबिहारी ओझा, गोपीलाल शर्मा ने जन-चेतना जगाने का काम किया। धौलपुर में जगदीश गुप्ता की गतिविधियां देख के झल्लाई सत्ता ने उनकी दुकान में आग लगवा दी, लेकिन वे हताश नहीं हुए। युगलदास, यादराम तसीमों, केदारनाथ गुप्ता इस क्षेत्र के साहसी सेनानी थे।
15
जयपुर में आंदोलन तेज होने लगा। यहां चंद्रशेखर पाराशर और प्रभुलाल बारठ ने मिलकर लॉर्ड इरविन की हत्या करने की योजना बनाई। जमवा रामगढ़ में साइमन कमीशन का विरोध हुआ। यहां रेलों को रोका गया। बम गोले रखे गए तो दूसरी ओर सिद्धराज ढड्ढा, चंद्रगुप्त वाष्र्णेय, गुलाबचंद कासलीवाल, शीतल चंद उर्फ स्वामी सोमानंद संन्यासी, भैंरुलाल भारद्वाज ने अपनी कविताओं से अलख जगाई।
16
जैसलमेर रियासत के अन्याय का सागरमल गोपा ने विरोध किया, उन्हें यातनाओं भरा कारावास दिया गया। लालचंद जोशी को 15 महीने की सजा हुई। झालावाड़ के मदनलाल शाह, छोगालाल पौद्दार, मांगीलाल भव्य ने गांधी के सत्याग्रह और स्वदेशी आंदोलन चलाया। करौली के श्यामसुंदर शर्मा, रामचरण लाल, हजूरसिंह, चिरंजीलाल शर्मा, प्रभुलाल शुक्ल, भूरा उर्फ भूपसिंह ने आजाद होने के लिए लंबा संघर्ष किया।
17
कोटा (हाड़ौती अंचल) से केसरीसिंह बारठ के सोरठे (राजस्थानी काव्य की एक शैली) ने राजा का स्वाभिमान जगाया, जिसे 'चेतावणी रा चूंगटिया' कहा जाता है। दुर्गाप्रसाद याज्ञिक ने रणथंभोर दुर्ग पर तिरंगा ले चढ़े। भैरवलाल उर्फ कालाबादल, अभिन्न हरि ने क्रांतिकारी गतिविधियां संचालित की। क्रांतिकारी कम्युनिष्ट पार्टी से जुड़े बागमल बांठिया भी पीछे नहीं रहे। मोतीलाल जैन ने लगान का विरोध किया। विमलकुार कंजोलिया, गुलाबचंद शर्मा, कंवरलाल जेलिया, रामेश्वरदयाल सक्सैना और इंद्रदत्त स्वाधीन पर समूचे हाड़ौती अंचल को अभिमान है।
18
जोधपुर के डाबड़ा कांड और किसान आंदोलन काफी चर्चित हुए। इसका नेतृत्त्व रणछोड़दास गट्टाणी कर रहे थे। 1932 में जोधपुर में तिरंगा फहराने वाले छगनलाल चौपासनीवाला को आज भी गर्व से याद किया जाता है। मदनमोहन रामदेव, हरदत्त सारस्वत और लक्ष्मणचंद व्यास ने मजदूरों को एक किया। सुरतिप्रकाश गौड़ और उगमराज महनोत वानर सेना के सदस्य थे। रमादेवी आचार्य ने ठाकुरों से टक्कर ली। शौकत अली अंसारी लगातार सक्रिय रहे। सूरजप्रकाश पापा जोधपुर बमकांड से जुड़े थे। मथुरादास माथुर को विरोध करने के कारण खड़ी हथकड़ी की यातना दी गई।
19
पाली, सिरोही और उदयपुर में भी प्रजा ने जवाबदेही शासन की मांग की। इस आंदोलन में कनक मधुकर को जेल हुई। भगवती देवी विश्नोई ने झंडा फहराने पर जेल में डाल दिया गया, लेकिन ये विचलित नहीं हुईं। पाली में रामप्रसाद गांधी, धनराज वर्मा और गिरिशचंद्र जैन को सुभाषचंद्र बोस की सब्ज सेना में जगह मिली। सिरोही में गोकुल भट्ट, देवीचंद सागरमल, कांतिलाल ने आजादी के आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की।
20
फलौदी में अंबालाल शर्मा ने गांधीवाद अपनाते हुए गतिविधियां जारी रखीं। गोपालदास पुरोहित को काल-कोठरी की सजा सुनाई गई। सीकर के सावलराम भारतीय कम उम्र में ही स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गए। ताड़केश्वर शर्मा ने पत्रकारिता के साथ जनचेतना जगाने का काम किया। दुर्गादत्त काया, कानकंवरी दुगड़, लादूराम जोशी, हरलालसिंह ने बढ़-चढ़कर आजादी के आंदोलन में भागीदारी की। सवाई माधोपुर के लाडलीदास गोयल, धीरेंद्रसिंह भदौरिया, गिरिराज किशोर तिवाड़ी का योगदान कभी नहीं भूलाया जा सकता।
21
यह एक ऐसा आंदोलन था, जिसमें कृषक, कवि, व्यापारी, कर्मचारी, गरीब, राजा सभी एक ही मंच पर थे। वैसे भी राजपूताणा तो स्वभाव से ही योद्धा है और इसे केसरिया वस्त्रों से ही प्रेम रहा है, जिसे पहनकर ये कभी भी रणक्षेत्र में उतरने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसे योद्धा जो दुश्मन की जीतने न दे, उनके सामने अंग्रेज कैसे टिक पाते। आखिरकार अंग्रेज भाग और राजपूताना राजस्थान के रूप में पहचाना गया।
22
आजादी के इस यज्ञ में अनेक आहुतियां दी गईं। बहुत सारे बलिदानियों के तो नाम-पते भी मालूम नहीं है, लेकिन उनके आजाद होने के भाव के प्रति हम नतशिर हैं। इस गीत में जो कहा है वह इतना कम है कि उसका तौल छटांक भी नहीं नहीं है। अगर वास्तव में बलिदानियों की खोज की जाए तो एक विस्तृत गाथा बन जाए। यह एक ऐसा दौर था, जिसमें चंद्रशेखर आजाद और भगतसिंह हर गांव जन्मे थे। सुभाषचंद्र बोस हर सेनानी के मन में बैठकर स्वाभिमान जगा रहे थे।
23
ऐसे लोगों की कीर्ति का बखान कितना भी कर लें, कम ही रहेगा-जो यह चाहते थे कि आने वाली पीढिय़ां गुलाम पैदा नहीं हों। कभी उस समय को सोचना जब जुल्म और अन्याव की पराकाष्ठा थी। एक तरफ राजाशाही का शोषण था तो दूसरी ओर अंग्रेजों का असहनीय व्यवहार। लेकिन जैसे स्वाधीनता सेनानियों में रणचंडी ने प्रवेश कर लिया। हर सेनानी हनुमानजी और भैरवजी जैसा प्रतीत होता था।
24
स्वतंत्रता का यह अमृत उत्सव है, हमें खुशियां मनानी है। लेकिन उन सेनानियों को नहीं भूलना है, जिनकी वजह से आजादी मिली है। हमें उनकी प्रशस्तियां गानी हैं। ऐसे लोग जिन्होंने आजादी के लिए घर, दुकान और खेत सारे न्यौछावर कर दिऐ। परिवार को भूल गये, लेकिन मातृभौम का मान रखा। सामंतों और अंग्रेजों के जबड़ों से भारतमाता को मुक्ति दिलाई, वास्तव में ये नये युग के भगवान हैं।
मूल राजस्थानी से अनुवाद - गीतकार द्वारा