Azadi Geet of Arunachal Pradesh
आज़ादी का अमृत महोत्सव (अरुणाचल प्रदेश)
गुलामी की काली रातों में
जब डूबा था अपना येवतन
आज़ाद सवेरा लाने को
कु बाान हुए थेककतनेरतन
हर सुख और चैन गँवाकर जो
अर्पपत कर दी थी तन-मन-धन
उस समर मेंथेशाममल हुए
अरुण की आँचल केभी सन्तान
जब देश में हर ओर था हाहाकार
तब बुलन्द था पूरब मेंहुुंकार
सूयोदय की पावन भूमम पर
मोजी रीबा ने मलया अवतार
वीर जवानों के सुंग ममलकर
गोरों से लड़ता रहा वो डटकर
किर उसने मतरुंगा लहराया था
पहले पहल दीपा की सरज़मीं पर
जब अुंग्रेजों के मगद्ध – नज़र
पड़ने लगीं ‘आदी’ जनपद पर
सुख चैन सभी लुटने लगे
जैसेहर पल दम घुटनेलगे
पर सर न झुकाया मजसनेकभी
दमन न स्वीकारा मजसनेकभी
ककया दुश्मनों का सर कलाम है
मातमुर जामोह को सलाम है
लेखक- डॉ० तारो मसमन्दक (अरुणाचल प्रदेश)